साहित्य की दो महान विभूतियाँ: राष्ट्रपति मुर्मु ने गुलज़ार और रामभद्राचार्य को किया सम्मानित
16 मई 2025

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को आयोजित एक भव्य समारोह में प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य और हिंदी-उर्दू के महान कवि-गीतकार गुलज़ार को वर्ष 2023 के लिए 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया। दोनों को भारतीय साहित्य और संस्कृति में उनके विशिष्ट योगदान के लिए यह प्रतिष्ठित सम्मान दिया गया।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि रामभद्राचार्य जी ने उत्कृष्टता के प्रेरणादायक उदाहरण स्थापित किए हैं। उन्होंने शारीरिक दृष्टि से बाधित होने के बावजूद अपनी अंतर्दृष्टि, बल्कि दिव्य दृष्टि से साहित्य और समाज की असाधारण सेवा की है। उन्होंने उनके द्वारा रचित चार महाकाव्य, 240 से अधिक ग्रंथों और संस्कृत व्याख्यानों की भी सराहना की।
तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख, 75 वर्षीय रामभद्राचार्य ने पांच वर्ष की आयु में भगवद्गीता का अध्ययन शुरू किया और सात वर्ष की आयु में रामचरितमानस का पाठ करने लगे। उन्होंने संस्कृत में गहरी पकड़ के साथ स्वर्ण पदक अर्जित किया और आज वे कविता, गद्य और छंदों के शीर्ष लेखक माने जाते हैं। उन्हें पहले 2005 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और 2015 में पद्मविभूषण से भी नवाजा जा चुका है।
समारोह में गुलज़ार जी स्वास्थ्य कारणों से उपस्थित नहीं हो सके। फिर भी राष्ट्रपति ने उन्हें बधाई दी और उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की। गुलज़ार, जिनका असली नाम संपूर्ण सिंह कालरा है, भारतीय सिनेमा में बेहतरीन गीतों और उर्दू शायरी के लिए विश्वप्रसिद्ध हैं। उन्हें 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2004 में पद्मभूषण, 2008 में ऑस्कर और ग्रैमी (फिल्म Slumdog Millionaire के "जय हो" गीत के लिए) और 2013 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार भी मिल चुका है।
उनके कुछ लोकप्रिय गीतों में "मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने" (आनंद), "दिल ढूंढता है फिर वही" (मौसम) शामिल हैं। वे अब तक 21 फिल्मफेयर और 7 राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके हैं।
वर्ष 2024 के लिए 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रसिद्ध हिंदी लेखक विनोद कुमार शुक्ल को दिया जाएगा। यह घोषणा कार्यक्रम के दौरान की गई।
■