




🔸 शुभ लाभ 🔸
पंचमुखी हनुमान जी और अहिरावण-महिरावण का वध
लंका के युद्ध में जब मेघनाद की मृत्यु हो गई, तो रावण बहुत चिन्तित हो उठा। उसकी मां कैकसी ने उसे पाताल में बसे दो भयंकर राक्षस भाइयों, अहिरावण और महिरावण, की याद दिलाई। ये दोनों राक्षस जादू-टोने में बहुत निपुण थे और मां कामाक्षी के बड़े भक्त थे। रावण ने उन्हें बुलाकर राम और लक्ष्मण को खत्म करने का आदेश दिया।
अहिरावण और महिरावण ने राम और लक्ष्मण को मारने के लिए योजनाएं बनाईं। विभीषण को यह खबर मिलते ही उन्होंने हनुमान जी से राम-लक्ष्मण की सुरक्षा का आग्रह किया। हनुमान जी ने लंका के सुवेल पर्वत पर राम-लक्ष्मण की कुटिया के चारों ओर शक्तिशाली सुरक्षा घेरा खींचा ताकि कोई भी जादू टोना काम न आए।
फिर भी महिरावण ने विभीषण का रूप धारण कर राम-लक्ष्मण को चोरी छुपे उठा लिया और पाताल लोक ले गया। हनुमान जी ने तुरंत उनकी खोज शुरू की और रसातल लोक में जाकर मकरध्वज नामक आधा वानर आधा मछली रूपी राक्षस से भयंकर युद्ध किया। इसके बाद हनुमान ने मां कामाक्षी के मंदिर में मधुमक्खी का रूप धारण कर प्रवेश किया और पता लगाया कि अहिरावण और महिरावण की शक्ति पांच दीपों में निहित है।
हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण कर उस शक्तिशाली रूप में बदल गए। पंचमुखी हनुमान के पाँच मुख थे — हर मुख अलग दिशा की रक्षा करता था और उस दिशा के दुश्मनों का संहार करता था। उन्होंने अपने पंचमुखी रूप में पाँचों दीपों को एक साथ बुझाकर अहिरावण-महिरावण की अमरता समाप्त कर दी।
इस रूप में हनुमान जी के प्रत्येक मुख की अपनी विशिष्ट भूमिका है:
- मुख हनुमान (मुख्य सामने वाला): यह मुख शक्ति, साहस और भक्तों की रक्षा का प्रतीक है।
- मुख गरुड़: यह मुख पाप और दुष्ट शक्तियों का नाश करता है।
- मुख वाराह: यह मुख संकटों और बुरे प्रभावों को दूर करता है।
- मुख नारसिंह: यह मुख अत्याचारियों का संहार करता है।
- मुख विष्णु (शेषनाग मुख): यह मुख शांति और संतुलन बनाए रखता है।
पंचमुखी महावीर का यह रूप रामायण और अन्य पुराणों में तब प्रकट होता है जब भगवान हनुमान को बहुत बड़े संकट का सामना करना पड़ता है, जैसे कि पाताल लोक में राक्षसों से युद्ध करना, जहां वे अपनी पूरी ऊर्जा और शक्ति से अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
इस रूप में हनुमान जी की शक्ति इतनी प्रबल होती है कि वे अंधकार, अज्ञानता, बुराई, और पापों को दूर कर देते हैं। वे भक्तों के सारे कष्टों का नाश करते हुए उनके जीवन में सुख, शांति और सफलता लाते हैं।
ॐ पंचमुखाय हनुमते नमः