⚡ संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री को दी चुनौती: बिजली महापंचायत में आकर बताएं निजीकरण के फायदे
ऊर्जा विभाग में छह माह के लिए हड़ताल पर रोक, कर्मचारियों का आंदोलन 196वें दिन भी जारी
लखनऊ, 11 जून 2025 – उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री को खुली चुनौती दी है कि वह आगामी 22 जून को लखनऊ में होने वाली बिजली महापंचायत में शामिल होकर निजीकरण के फायदे किसानों, उपभोक्ताओं और बिजली कर्मियों के सामने प्रस्तुत करें।
संघर्ष समिति ने कहा कि बार-बार बयान देने के बजाय मंत्री सीधे मंच पर आकर अपना पक्ष रखें, यही लोकतांत्रिक तरीका है। समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि निजीकरण के नाम पर सिर्फ “लूट का एजेंडा” चलाया जा रहा है, जबकि रोज़ाना नए रिकॉर्ड बिजली आपूर्ति में सार्वजनिक क्षेत्र ही बना रहा है।
निजीकरण के विरोध में आंदोलन जारी
राज्य भर में बिजली कर्मचारियों का आंदोलन लगातार 196वें दिन भी जारी रहा। समिति का कहना है कि निजी क्षेत्र को बेहतर तकनीक और प्रबंधन का दावा करने वाले ऊर्जा मंत्री को पहले प्रदेश की बिजली व्यवस्था के घाटे पर जवाब देना चाहिए, जो अब एक लाख करोड़ के पार हो चुका है।
सरकार ने छह माह की हड़ताल पर लगाई रोक
सरकार ने उत्तर प्रदेश आवश्यक सेवाएं अनुरक्षण अधिनियम, 1966 के तहत बिजली विभाग में 6 माह के लिए हड़ताल पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि लोकहित को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। आदेश के दायरे में यूपी पावर कॉरपोरेशन, उत्पादन निगम, ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन, सभी वितरण कंपनियां एवं केस्को सहित सभी इकाइयाँ शामिल हैं।
संघर्ष समिति का आरोप
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि ऊर्जा मंत्री ने न तो उपभोक्ता संगठनों से और न ही किसी कर्मचारी संगठन से संवाद किया है। उन्होंने कहा कि निजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह एकतरफा और जनता विरोधी है। आरडीएसएस योजना के तहत पहले ही हजारों करोड़ का निवेश कर राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जा रहा है, फिर निजीकरण की जरूरत क्यों?
हड़ताल की चेतावनी
ऊर्जा संगठनों ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया गया तो 9 जुलाई को प्रतीकात्मक हड़ताल की जाएगी। संघर्ष समिति ने कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है, आंदोलन और तेज किया जाएगा।
मंत्री के विरोधाभासी बयान
संघर्ष समिति ने मंत्री के विरोधाभासी बयानों को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि जब एक ओर मंत्री खुद ट्वीट कर यह बता रहे हैं कि बिजली आपूर्ति में रिकॉर्ड बन रहे हैं और लाइन हानियां घट रही हैं, तो फिर निजीकरण का औचित्य क्या है?
महापंचायत बनेगी निर्णायक
संघर्ष समिति ने कहा कि आगामी बिजली महापंचायत में पूरे प्रदेश से कर्मचारी, किसान, उपभोक्ता एकत्र होंगे और निजीकरण के विरुद्ध अपने संकल्प को दोहराएंगे। सरकार को यह जनभावना समझनी चाहिए।
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