संत कबीरदास जी की प्रेरक जीवनी और अमर दोहे – कबीर जयंती विशेष

🪔 संत कबीरदास जी का संपूर्ण जीवन परिचय 🪔

Sant Kabir Das

नाम: संत कबीरदास

जन्म: लगभग 1398 ई. (कुछ मतों के अनुसार 1440 ई.)

स्थान: लहरतारा ताल, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

पालक माता-पिता: नीरू (पिता) एवं नीमा (माता) – एक जुलाहा दंपत्ति

शिक्षा: औपचारिक शिक्षा नहीं, अनुभव व संतों की संगति से आत्मज्ञान प्राप्त किया

गुरु: स्वामी रामानंद

📅 कबीरदास जयंती

कबीरदास जी की जयंती हर वर्ष ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा

वर्ष 2025 में कबीर जयंती 11 जून 2025 (बुधवार) को मनाई जा रही है।

🪶 साहित्यिक योगदान

कबीरदास जी ने साखी, सबद, रमैनी और बीजक के रूप में अमूल्य साहित्य प्रदान किया। उनकी भाषा सधुक्कड़ी थी जो आम जन की समझ में आती थी।

✍️ प्रसिद्ध दोहे

  • बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय
    जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय
  • माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर
    कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर
  • साईं इतना दीजिए, जा में कुटुंब समाय
    मैं भी भूखा न रहूं, साधु न भूखा जाय
  • पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय
    ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय
  • जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान
    मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान

👣 प्रमुख शिष्य

धर्मदास, सूरती गोपाल, भीजन साहब, कमाल (पुत्र), इत्यादि

🧭 दर्शन और विचार

कबीरदास जी का संदेश था कि ईश्वर न मंदिर में है न मस्जिद में, वह हर प्राणी में है। वे भक्ति, कर्म और प्रेम

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय

🕯️ मृत्यु

स्थान: मगहर, उत्तर प्रदेश

वर्ष: लगभग 1518 ई.

उनकी मृत्यु के बाद हिंदू और मुस्लिम अनुयायियों में विवाद हुआ। किंवदंती है कि उनके शव के स्थान पर केवल फूल मिले, जिन्हें दोनों समुदायों ने बाँट लिया।

🎉 कबीर जयंती की शुभकामनाएं

कबीर दास जी की जयंती पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं। आइए हम उनके सत्य, प्रेम और सद्भाव के मार्ग को अपनाकर एक बेहतर समाज का निर्माण करें।

जाति-पाति पूछे न कोई, हरि को भजे सो हरि का होई