अब और कितनी प्रतीक्षा, माननीय प्रधानमंत्री? संविदा कर्मियों को मिले स्थायीत्व, हो सम्मानजनक समाधान
लखनऊ | 16 जून 2025

माननीय प्रधानमंत्री जी, हम सभी ने अपने जीवन के 12 वर्षों से भी अधिक समय इस उम्मीद में अर्पित कर दिए कि कभी तो सरकार हमारी पीड़ा को समझेगी। न बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सके, न माता-पिता की सेवा कर सके — क्योंकि हर महीने मिलने वाला अल्प मानदेय हमारी बुनियादी ज़रूरतों को भी नहीं पूरा कर पाता।
प्रभु श्रीराम लौटे थे 14 वर्षों बाद, हम कब लौटेंगे अपने सम्मान की ओर?
जैसा कि प्रभु श्रीरामचन्द्र 14 वर्षों के वनवास के पश्चात अपने घर लौटे थे, वैसे ही हम संविदा कर्मचारी भी वर्षों से अनदेखे संघर्ष के वन में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि हमारी भी घर वापसी — स्थायीत्व और सम्मान के साथ हो।
आपने कई मंचों से कहा है — “जो जनता की सेवा करता है, उसका सम्मान होना चाहिए।” आपका यह कथन ही हमारे लिए आशा की अंतिम किरण है। हम जानते हैं, यदि आप चाहें तो एक आदेश से करोड़ों परिवारों की दशा बदल सकती है।
एक निर्णायक पहल की प्रतीक्षा
आज शिक्षा मित्रों, कंप्यूटर आपरेटर , सहायक लेखाकर से लेकर पंचायत सहायकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से लेकर रसोइयों तक, सभी की आँखें सिर्फ और सिर्फ माननीय प्रधानमंत्री जी की तरफ टिकी हैं। अगर PRAGATI बैठक में इस विषय को प्राथमिकता मिलती है, तो यह आपके नेतृत्व की संवेदनशीलता और निर्णय क्षमता को सिद्ध करेगा।
अब ये केवल माँग नहीं, बल्कि जनदबाव और भावनात्मक पुकार बन चुकी है। हमें बस एक संकेत चाहिए — ताकि हम भी कह सकें कि हमने जीवन केवल सेवा में नहीं खपाया, बल्कि सरकार ने हमें भी सुनवाई और सम्मान दिया।
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