गौतम बुद्ध का जीवन, उपदेश और बुद्ध पूर्णिमा का महत्व

गौतम बुद्ध का जीवन मानवता के लिए शांति, करूणा और ज्ञान का संदेश है। उनके उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने 2500 वर्ष पूर्व थे। इस लेख में हम उनके जीवन, पहले उपदेश, उनके दांत दर्शन और बुद्ध पूर्णिमा जैसे महान पर्व की जानकारी देंगे।
गौतम बुद्ध का प्रारंभिक जीवन
गौतम बुद्ध का जन्म लुंबिनी (वर्तमान नेपाल में) 563 ईसा पूर्व शुद्धोधन और महामाया के पुत्र के रूप में हुआ था। उनका प्रारंभिक नाम सिद्धार्थ था। उन्होंने बचपन से ही विलासितापूर्ण जीवन बिताया, लेकिन जीवन की सच्चाई से परिचय होते ही उन्होंने सत्य की खोज में घर-परिवार त्याग दिया।
ज्ञान की प्राप्ति
सिद्धार्थ ने वर्षों तपस्या की और अंततः बोधगया में पीपल वृक्ष के नीचे ध्यान करते हुए उन्हें "ज्ञान" की प्राप्ति हुई। तभी से वे 'बुद्ध' कहलाए।
पहला उपदेश – धर्मचक्र प्रवर्तन
ज्ञान प्राप्ति के बाद बुद्ध ने वाराणसी के निकट सारनाथ में अपने पांच शिष्यों को पहला उपदेश दिया। इसे 'धर्मचक्र प्रवर्तन' कहा जाता है। उन्होंने चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग की व्याख्या की, जो बौद्ध धर्म की नींव बने।

बुद्ध के दांत का दर्शन
गौतम बुद्ध के निधन के बाद उनके शरीर के अवशेषों में उनके दांतों को भी पूजा योग्य माना गया। श्रीलंका के कैंडी स्थित दंत मंदिर में बुद्ध का पवित्र दांत आज भी सुरक्षित है, जहाँ विश्वभर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।

बौद्ध धर्म का विस्तार
बौद्ध धर्म को महान सम्राट अशोक ने पूरे भारत और एशिया में फैलाया। उनके द्वारा बनवाए गए स्तूप, स्तंभ और शिलालेख आज भी बौद्ध संस्कृति की गवाही देते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
बुद्ध पूर्णिमा वैशाख माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन तीन विशेष घटनाएँ घटी थीं — बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण।
यह दिन बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए सबसे पवित्र त्योहार माना जाता है। लोग इस दिन बौद्ध विहारों में जाकर पूजा करते हैं, दीप जलाते हैं, और बुद्ध वचनों का पाठ करते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा हमें सिखाती है कि जीवन में करुणा, सत्य, संयम और आत्मज्ञान ही सच्चे मार्ग हैं।
निष्कर्ष
गौतम बुद्ध का जीवन मानव जाति के लिए एक अमूल्य धरोहर है। उनका ज्ञान, त्याग और उपदेश हमें आज के युग में भी आंतरिक शांति और सामाजिक समरसता की ओर प्रेरित करते हैं। बुद्ध पूर्णिमा का यह पावन पर्व न केवल धार्मिक आस्था, बल्कि आत्मिक शुद्धि और जीवन के उद्देश्य को समझने का भी अवसर है।
Happy Buddha Purnima 2025) 2025