बलिया: 14 साल से ₹9500 में काम कर रहे शिक्षा विभाग (BRC) के ब्लॉक आउटसोर्स कर्मचारी, मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद भी अनसुनी

BSA Ballia Office

बलिया के कंप्यूटर ऑपरेटरों का दर्द: 14 वर्षों की सेवा, न बढ़ा वेतन, न मिला EPF – मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद भी नहीं हुई सुनवाई

बलिया, उत्तर प्रदेश | 24 जून 2025: बेसिक शिक्षा विभाग बलिया में आउटसोर्सिंग के माध्यम से विगत 13-14 वर्षों से जनपद के प्रत्येक ब्लॉक संसाधन केन्द्रों पर कार्यरत ब्लॉक कंप्यूटर ऑपरेटर एवं सहायक लेखाकार आज भी उपेक्षा का शिकार हैं। शिक्षा विभाग की रीढ़ माने जाने वाले ये कर्मचारी सरकारी योजनाओं की मूल आधारशिला हैं, लेकिन इन्हें आज तक न तो स्थायित्व प्राप्त हुआ है और न ही सम्मानजनक वेतन।

14 वर्षों से ₹9500 मानदेय, न कोई बढ़ोतरी

कर्मचारियों ने बताया कि जब उनकी नियुक्ति वर्ष 2010–11 के आसपास हुई थी, तब ₹9500 प्रतिमाह मानदेय दिया जाता था। हैरानी की बात यह है कि 2025 में भी वही राशि मिल रही है। इस दौरान महंगाई कई गुना बढ़ चुकी है, लेकिन वेतन बढ़ोतरी शून्य रही।

₹16,500 मिलता था शासन से, ₹9500 ही मिला कर्मचारियों को

कर्मियों का आरोप है कि शासन से प्रति कर्मी ₹16,500 जारी होता था, लेकिन उन्हें सिर्फ ₹9500 दिया जाता था। शेष राशि कहाँ जाती थी, यह कभी स्पष्ट नहीं किया गया। इसके अलावा, हर वर्ष रिन्यूअल के नाम पर 4 महीने का मानदेय काट लिया जाता था

पुरानी फर्म गायब, EPF और 5 माह का वेतन भी ले गई

पूर्व आउटसोर्सिंग फर्म ने 5 वर्षों का EPF और 5 महीने का वेतन का भुगतान किए बिना कार्यमुक्ति ले ली, और BSA बलिया द्वारा उसे अनुबंधमुक्त भी कर दिया गया। इसके बावजूद कोई कानूनी कार्यवाही नहीं हुई।

नई फर्म भी 3 महीने से वेतन नहीं दे रही

अब नई फर्म भी अप्रैल, मई और जून 2025 का मानदेय नहीं दे रही है। शासनादेश के अनुसार हर माह की 5 तारीख तक भुगतान अनिवार्य है, फिर भी वेतन लंबित है।

मुख्यमंत्री और डीएम से शिकायत के बाद भी नहीं मिली राहत

कर्मियों ने इस पूरे मामले को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर बताया है। साथ ही DM बलिया, SP बलिया, और BSA बलिया को भी जानकारी दी गई। बावजूद इसके, अब तक कोई समाधान नहीं निकला है।

“हम 14 साल से काम कर रहे हैं। छुट्टी नहीं, स्थायित्व नहीं, EPF नहीं, बोनस नहीं, और आज तक वही ₹9500। ऊपर से 3 महीने से वेतन भी नहीं मिला। हम इंसान हैं, गुलाम नहीं।” — एक पीड़ित कर्मचारी

कर्मचारियों की प्रमुख मांगें:

  • न्यूनतम मानदेय ₹22,000 प्रति माह निर्धारित किया जाए।
  • 5 साल का EPF और 5 माह का बकाया वेतन तत्काल दिलाया जाए।
  • वर्तमान फर्म को 3 माह का भुगतान तुरंत करने हेतु बाध्य किया जाए।
  • पूर्व फर्म व संबंधित अधिकारियों पर FIR दर्ज की जाए।
  • रिन्यूअल के नाम पर काटे गए 4 माह का वेतन लौटाया जाए।

जब एक ओर सरकार युवाओं को रोजगार देने की बात कर रही है, वहीं वर्षों से सेवा दे रहे आउटसोर्स कर्मियों की लगातार उपेक्षा गंभीर चिंता का विषय है। अब देखना यह है कि शासन इन कर्मचारियों की आवाज कब सुनेगा।