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UP Cabinet Meeting 2025: योगी सरकार ने ट्रांसफर पॉलिसी को दी मंजूरी, लेकिन आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की उम्मीदों को लगा गहरा झटका

UP Cabinet Meeting

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में राज्य सरकार ने कुल 11 प्रस्तावों पर मुहर लगाई। ट्रांसफर पॉलिसी 2025-26 को मंजूरी मिली और यूपी अडानी पावर लिमिटेड से 5.383 रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदने का निर्णय लिया गया, जिससे आगामी 25 वर्षों में 2958 करोड़ रुपये की बचत का अनुमान है।

लेकिन इस बैठक में लाखों आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के चेहरे पर मायूसी और हताशा साफ झलक रही थी। जिन कर्मचारियों ने वर्षों से राज्य के हर विभाग में मेहनत की, जिनकी तनख्वाह ठेकेदारों की मनमानी का शिकार बनी रही, और जिनका भविष्य हमेशा अधर में रहा – उन्हें एक बार फिर से सिर्फ इंतजार मिला, इंसाफ नहीं

UPCOS पर चर्चा तक नहीं, निराश हुए कर्मी

Disappointed Workers

मुख्यमंत्री द्वारा ‘उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम’ (UPCOS) के गठन की हालिया घोषणा से इन कर्मियों में उम्मीद जगी थी कि अब उन्हें भी सम्मान और सुरक्षा मिलेगी। यह निगम चिकित्सा सुविधा, मातृत्व अवकाश, दुर्घटना बीमा, पेंशन, और आरक्षण जैसे हक देने वाला बताया गया था। लेकिन मंगलवार की कैबिनेट बैठक में इस मुद्दे पर एक शब्द तक नहीं बोला गया

बैठक समाप्त होते ही हजारों आउटसोर्स कर्मियों ने गहरी निराशा जताई। कुछ ने सोशल मीडिया पर अपनी पीड़ा साझा की, तो कई कर्मियों ने स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से सरकार को पत्र भेजकर ठेकेदारों को हटाने और सीधे निगम से नियुक्ति की मांग उठाई है। उन्होंने यह भी कहा कि जब सरकार वास्तव में सुधार चाहती है, तो ठेकेदारी प्रथा को खत्म करके सीधी नियुक्ति क्यों नहीं करती?

"हम इंसान हैं, केवल संख्या नहीं" – कर्मियों का दर्द छलका

Employees Strike

वर्तमान में अधिकांश आउटसोर्स कर्मचारी 10 से 15 वर्षों से सेवा दे रहे हैं, फिर भी उन्हें नियमित कर्मचारियों जैसी सुविधा तो दूर, समय पर वेतन और सामाजिक सुरक्षा तक नहीं मिलती। एक कर्मचारी ने कहा, “हमने अस्पतालों में, तहसीलों में, स्कूलों में और हर जगह पूरी निष्ठा से काम किया। लेकिन हर बार हमारे नाम पर घोषणाएं होती हैं, और फैसलों से हमें बाहर कर दिया जाता है।”

भावनात्मक विद्रोह और सवाल

  • क्यों नहीं हुआ UPCOS पर कोई ठोस फैसला?
  • क्या लाखों परिवारों की पीड़ा किसी कैबिनेट एजेंडे के लायक भी नहीं?
  • कब तक ठेकेदारों की लूट चलती रहेगी?

सरकार की ओर से बार-बार वादा किया गया कि अब हर माह 5 तारीख तक वेतन सीधे बैंक में आएगा, ईपीएफ और ईएसआई की कटौती समय से होगी, और बिना सक्षम अधिकारी की संस्तुति के किसी को हटाया नहीं जाएगा। पर जब तक यह व्यवस्था लागू नहीं होती और कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिलती, तब तक ये सब सिर्फ "कागज़ी घोषणाएं" ही मानी जाएंगी।

निष्कर्ष:

जहां एक ओर ट्रांसफर पॉलिसी और ऊर्जा समझौते जैसे फैसलों से राज्य प्रशासन को मजबूती मिलेगी, वहीं दूसरी ओर, आउटसोर्सिंग कर्मचारी खुद को फिर से ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उनके लिए यह कैबिनेट मीटिंग सिर्फ एक “खाली आश्वासन” साबित हुई।

अब यह सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह करोड़ों मजदूर हाथों के सम्मान को शब्दों से नहीं, फैसलों से साबित करे।

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