रिया की मौत: क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था सिर्फ अमीरों के लिए है?
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में 9वीं कक्षा की छात्रा रिया प्रजापति ने सिर्फ इसलिए अपनी जान दे दी क्योंकि उसके स्कूल ने फीस बकाया होने पर उसे परीक्षा से बाहर कर दिया और अपमानित किया।
यह घटना न केवल रिया के परिवार के लिए एक गहरी चोट है, बल्कि यह हमारे शिक्षा व्यवस्था की एक भयावह हकीकत भी दिखाती है।
क्या यही है 'नई शिक्षा नीति'?
जब हम चाँद पर जा रहे हैं, AI में तरक्की कर रहे हैं, तो क्या हम गरीब बच्चों की पढ़ाई का हक नहीं बचा पा रहे? प्राइवेट स्कूल शिक्षा को व्यापार बना चुके हैं, और गरीब बच्चों के आत्मसम्मान को रौंदा जा रहा है।
मनमानी फीस वसूली और सुविधाओं की कमी
फीस के अलावा बिजली, खेल, यूनिफॉर्म, किताबों जैसे बहानों से अभिभावकों से पैसे वसूले जाते हैं। बच्चों की कक्षा में पंखा तक नहीं, जबकि प्रिंसिपल के कमरे में AC चलता है।
खेल के नाम पर कोई सामग्री नहीं, लेकिन स्कूल प्रबंधन और प्रधानाध्यापक खुद आराम उठाते हैं।
घटना का सार
- रिया प्रजापति, 9वीं की छात्रा, 800 रुपये फीस न देने के कारण परीक्षा से बाहर की गई।
- अपमान के बाद उसने आत्महत्या कर ली।
- स्कूल: कमला शरण यादव इंटर कॉलेज, प्रतापगढ़
सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी
प्रशासन को चाहिए कि इस तरह के स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई करे। शिक्षा सबका हक है, इसे पैसों का सौदा नहीं बनने देना चाहिए।
रिया तो चली गई... लेकिन हमें झकझोर कर कई सवाल छोड़ गई — कौन जिम्मेदार है?
अब आवाज उठाइए, ताकि अगली रिया बच सके!