सरकारी विभागों के कार्यालयों/संस्थानों में अल्प मानदेय पाने वाले कर्मियों के आर्थिक, मानसिक, सामाजिक, शारीरिक शोषण के लिये कौन जिम्मेदार


वर्तमान में आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के साथ जो बर्ताव किया जा रहा है, वह न केवल उनके वित्तीय और मानसिककल्याण को प्रभावित करता है, बल्कि यह समाज में असमानता और शोषण को भी बढ़ावा देता है।

कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

1. ठेकेदार को दिए जाने वाले लाभ और कर्मचारियों को मिलने वाले अल्पमानदेय

  • यह सच है 
  • कि ठेकेदारों को जो लाभ मिलता है, वह कई बार कर्मचारियों की मेहनत से अधिक होता है। ठेकेदार घर बैठकर सरकारी पैसे का हिस्सा प्राप्त करते हैं, जबकि कर्मचारी को अत्यंत कम वेतन पर काम करना पड़ता है। यदि सरकार इस पैसे को सीधे कर्मचारियों को देती, तो उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता था, और उन्हें काम में अधिक प्रेरणा मिलती।
  • समाधान: यदि विभाग और कर्मचारियों के बीच प्रत्यक्ष अनुबंध होता, तो कर्मचारियों को न केवल बेहतर वेतन मिलता, बल्कि उन्हें स्थिरता और सम्मान भी मिलता। साथ ही, यह ठेकेदारों के शोषण को भी रोकता।

2. कम वेतन के कारण कार्य में लापरवाही और मानसिक तनाव

  • कम वेतन, परिवार की आर्थिक स्थिति और कार्यस्थल की समस्याएं कर्मचारियों में मानसिक तनाव और कार्य में लापरवाही का कारण बन सकती हैं। इसका सीधा असर उनके प्रदर्शन और कार्यस्थल पर उनके मनोबल पर पड़ता है।
  • समाधान: अगर कर्मचारियों को सम्मानजनक वेतन और स्थिरता मिलती, तो वे न केवल बेहतर काम करते बल्कि सामाजिक और मानसिक दबाव से भी बाहर निकलते। साथ ही, यह स्थायित्व और नौकरी की सुरक्षा के कारण उनकी कार्यक्षमता भी बढ़ती।

3. ठेकेदारों द्वारा शोषण और वित्तीय गड़बड़ियां

  • जैसा कि आपने उल्लेख किया है, ठेकेदार अक्सर कर्मचारियों से शोषण करते हैं, रिन्युअल के नाम पर उन्हें परेशान करते हैं, और सरकारी निधि का गलत उपयोग करते हैं (जैसे जीएसटी और ईपीएफ में गबन)। इससे कर्मचारियों की स्थिति और भी खराब होती है।
  • समाधान: यदि सरकार यह राशि सीधे कर्मचारियों को देती और ठेकेदारों की भूमिका को समाप्त करती, तो इस शोषण को रोका जा सकता था। कर्मचारियों को उनके श्रम का पूरा मूल्य मिलता और उनका सामाजिक सुरक्षा भी सुनिश्चित होता।

4. सरकारी अधिकारियों की लापरवाही और मानवीय दृष्टिकोण की कमी

  • विभागाध्यक्ष और सचिव अपने निर्णयों में मानवीय दृष्टिकोण की कमी रखते हैं। उनके द्वारा निर्धारित कम वेतन से न केवल कर्मचारियों के जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है, बल्कि वे अपने परिवार का सही तरीके से पालन-पोषण भी नहीं कर पाते।
  • समाधान: यदि सचिव और विभागाध्यक्ष यह समझें कि कर्मचारियों के लिए निर्धारित कम वेतन से उनके और उनके परिवार का पालन-पोषण संभव नहीं है, तो वे इन निर्णयों पर पुनर्विचार करेंगे। उन्हें यह ध्यान में रखना चाहिए कि कर्मचारी उनका सहकर्मी हैं और उनका जीवन भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना उनके खुद का।

5. वेतन निर्धारण में पारदर्शिता और जिम्मेदारी

  • जैसा कि आपने कहा कि सरकार और विभाग में मानदेय निर्धारण के समय किसी भी मानवीय दृष्टिकोण का पालन नहीं किया जाता, और यह प्रक्रिया केवल कागजी होती है।
  • समाधान: सरकार को इस प्रक्रिया में पारदर्शिता लानी चाहिए। इसे कर्मचारियों के वास्तविक खर्च और उनके जीवन की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए तय करना चाहिए। यदि विभागाध्यक्षों और अधिकारियों के लिए अपनी सैलरी का एक महीना कर्मचारियों के सालभर के वेतन के बराबर हो, तो वे स्वयं इस स्थिति का एहसास करेंगे और उस पर विचार करेंगे।

निष्कर्ष:

आपने बहुत महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला है, और यदि सरकार इन मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान देती है, तो न केवल आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की स्थिति में सुधार होगा, बल्कि समाज में समानता और न्याय की भावना भी बढ़ेगी। सरकार को ठेकेदारों और कर्मचारियों के बीच सेतु की भूमिका निभाने के बजाय कर्मचारियों को सीधे सरकारी योजनाओं और अनुबंधों के तहत सुरक्षित और सम्मानजनक वेतन देना चाहिए।