"UP Cabinet Decision: अग्निवीरों को सौगात, संविदा कर्मियों को इंतज़ार – क्या यही है न्याय?

उत्तर प्रदेश की कैबिनेट बैठक में अग्निवीरों को पुलिस में 20% आरक्षण, लेकिन संविदा कर्मियों पर फिर चुप्पी क्यों?
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 3 जून 2025 को हुई कैबिनेट बैठक में अग्निवीरों को पुलिस विभाग में 20 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है। यह फैसला PAC, फायरमैन और आरक्षी घुड़सवार पदों की सीधी भर्ती पर भी लागू होगा। सरकार का यह कदम देश की सेवा कर चुके युवाओं को सशक्त करने की दिशा में एक अहम पहल है।
क्या है अग्निवीर योजना?
अग्निवीर योजना भारत सरकार की 2022 में शुरू की गई 'अग्निपथ योजना' का हिस्सा है, जिसके तहत 17.5 से 23 वर्ष के युवाओं को 4 वर्षों के लिए सेना में सेवा देने का अवसर मिलता है। सेवा समाप्ति पर चयनित 25% अग्निवीरों को स्थायी नियुक्ति और अन्य को 11–12 लाख रुपये की सेवा निधि दी जाती है।
बैठक में और क्या हुआ?
कैबिनेट बैठक में अन्य विषयों पर भी चर्चा हुई, लेकिन पिछले 14–15 वर्षों से सरकारी कार्यालयों में न्यूनतम वेतन पर कार्य कर रहे अल्प मानदेय संविदा कर्मियों के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा गया। ये वही कर्मचारी हैं जो बिना सुरक्षा, बिना स्थायीत्व और बिना सम्मान के वर्षों से सरकारी व्यवस्था को जीवित रखे हुए हैं।
सोशल मीडिया पर चर्चा है कि माननीय मुख्यमंत्री एवं शीर्ष नेतृत्व इन कर्मियों के सामाजिक-आर्थिक उत्पीड़न को देखते हुए एक स्थायी निगम के गठन की बात कह चुके हैं। वित्त विभाग से अनुमोदन मिल चुका है, फिर भी बार-बार निर्णय टल रहा है। क्या कारण है? क्या ये कर्मी और उनके मासूम बच्चे उन बहु-करोड़ परियोजनाओं से भी कम महत्त्वपूर्ण हैं जिन पर धन पानी की तरह बहाया जा रहा है?
कब तक? ये कर्मी आज भी ₹6,000 – ₹10,000 की मजदूरी पर बिना भविष्य की उम्मीद के जी रहे हैं। क्या यही है सबका साथ, सबका विकास?
सरकार को यह तय करना होगा कि वह वाकई देश के सच्चे कर्मयोगियों के साथ खड़ी है या केवल नीतियों के प्रचार में व्यस्त है। अब वक्त है निर्णय का — केवल अग्निवीर ही नहीं, वर्षों से सेवा दे रहे संविदा कर्मियों के सम्मान और अधिकारों की भी बहाली होनी चाहिए।
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