
अंतरराष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस: बच्चों की सुरक्षा का संकल्प
अंतरराष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस हर वर्ष 1 जून को विश्वभर में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की रक्षा, उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार और उनके साथ होने वाले किसी भी प्रकार के शोषण या अन्याय को समाप्त करना है।
यह दिवस 1949 में पहली बार मनाया गया था और 1950 से इसे संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में मान्यता मिली। बाल रक्षा दिवस का संदेश स्पष्ट है — हर बच्चे को सुरक्षित, शिक्षित और सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार है।
आज की स्थिति
हालाँकि आज दुनिया के कई हिस्सों में बच्चों के लिए शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हुई हैं, लेकिन अभी भी करोड़ों बच्चे बाल मजदूरी, बाल तस्करी, कुपोषण और हिंसा जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। भारत में सरकारी योजनाएं जैसे कि मिड-डे मील, ICDS, और शिक्षा का अधिकार क़ानून बच्चों की स्थिति सुधारने की दिशा में काम कर रही हैं।
जमीनी हकीकत और सरकार की विफलताएं
लेकिन सच्चाई यह भी है कि जब तक माता-पिता को स्थायी रोजगार और सम्मानजनक मजदूरी नहीं मिलेगी, तब तक बच्चों का संपूर्ण विकास संभव नहीं। सरकार करोड़ों रुपये स्कूल, स्मार्ट सिटी, और एयरपोर्ट पर खर्च कर रही है, लेकिन बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। गरीब परिवारों में बच्चों का भविष्य आज भी असुरक्षित है।
सिर्फ दवा और भोजन देकर बच्चों को बचाया नहीं जा सकता। उनके माता-पिता को जब तक स्थायी आजीविका नहीं मिलेगी, तब तक बच्चों को अपराध, कुपोषण और शिक्षा से वंचित होने से नहीं रोका जा सकता।
★ भावपूर्ण अपील:
आइए आज हम संकल्प लें कि हर बच्चे को सुरक्षित, शिक्षित और सशक्त बनाएंगे। सरकार से अपेक्षा है कि वह केवल योजनाएं नहीं, बल्कि आर्थिक समानता और रोजगार सुनिश्चित करे — ताकि हर बच्चा मुस्कुराता भविष्य पा सके।