शिक्षामित्रों के '2 जून की रोटी' आंदोलन पर अखिलेश यादव का हमला: “सोती सरकार को जगाने का संघर्ष”

अखिलेश यादव का तंज: "रोटी को थाली की तरह बजाने से आवाज़ नहीं आती", शिक्षामित्रों के संघर्ष पर उठाए सवाल

📅 2 जून 2025, मंगलवार

शिक्षामित्र प्रदर्शन

लखनऊ / प्रयागराज: 2 जून 2025 को उत्तर प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन देखने को मिला। लखनऊ के इको गार्डन और प्रयागराज में शिक्षा चयन बोर्ड के बाहर हजारों शिक्षामित्रों और बेसिक शिक्षक अभ्यर्थियों ने "2 जून की रोटी का संघर्ष" के नाम से सड़कों पर उतरकर विरोध दर्ज कराया।

इस जनआंदोलन को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का समर्थन मिला। उन्होंने इस आंदोलन को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए ट्वीट किया:

Akhilesh Yadav Press Conference
“प्रयागराज में शिक्षा चयन बोर्ड के सामने बेसिक शिक्षक के अभ्यर्थियों और लखनऊ के इको गार्डन में प्रदेश भर के शिक्षामित्रों के ‘2 जून को 2 जून की रोटी के संघर्ष’ का प्रदर्शन सच में चिंतनीय है...

शिक्षामित्र जानते हैं कि रोटी को थाली की तरह बजाने से आवाज़ नहीं आती है, इसीलिए वो ‘सोती सरकार’ को जगाने के लिए गुहार-पुकार का भी सहारा ले रहे हैं।”

— अखिलेश यादव

उन्होंने यह भी लिखा कि केवल परिवार वाले ही समझ सकते हैं कि ₹10,000 की मासिक राशि में पूरे परिवार का गुज़ारा करना कितना मुश्किल है। उन्होंने प्रदेश सरकार से सवाल किया कि आखिर क्यों पिछले 7 वर्षों से कोई नई शिक्षक भर्ती नहीं की गई?

प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों ने बताया कि उनकी मांगें वर्षों से अनसुनी की जा रही हैं। जहां एक ओर लाखों छात्र बेसिक शिक्षक बनने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शिक्षामित्र 11 महीनों की अल्पावधि में, सिर्फ ₹10,000 प्रतिमाह की राशि में काम करने को मजबूर हैं।

“हम शिक्षा देते हैं, लेकिन खुद अपने बच्चों की फीस नहीं भर सकते। सरकार को जगाना अब हमारी मजबूरी बन चुकी है।” — एक महिला शिक्षामित्र

पूरे प्रदर्शन के दौरान विरोध के नारों के साथ यह नारा बार-बार गूंजता रहा:

"शिक्षक कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा!"

शिक्षामित्रों और अभ्यर्थियों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की गई और मानदेय स्थायी वेतन में नहीं बदला गया, तो यह आंदोलन और तेज़ किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह केवल रोजगार नहीं, आत्मसम्मान और परिवार के अस्तित्व की लड़ाई है।