निजीकरण के विरोध में शक्ति भवन पर डटे बिजली कर्मचारी, चेयरमैन ने उठाया ये कदम
लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन द्वारा पूर्वांचल और दक्षिणांचल के 42 जिलों में बिजली वितरण के निजीकरण के फैसले के खिलाफ कर्मचारियों में भारी आक्रोश है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले बीते तीन दिनों से शक्ति भवन पर लगातार धरना प्रदर्शन किया जा रहा है।
शक्ति भवन पर प्रदर्शन
सोमवार को प्रदर्शन और तेज हो गया। कर्मचारियों ने पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। रविवार को लालटेन लेकर प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया गया था। समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे तीन दिनों से अनशन पर बैठे हैं।
सोमवार को दुबे ने चेयरमैन डॉ. आशीष गोयल से बातचीत की। इसके बाद चेयरमैन ने अनशन तुड़वाने के लिए स्वयं शक्ति भवन आने का निर्णय लिया है। हालांकि आगमन का समय स्पष्ट नहीं है। समिति का कहना है कि जब तक निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया जाता, अनशन समाप्त नहीं होगा।
3 मई को संघर्ष समिति ने बाइक रैली निकालकर भी निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
सांकेतिक विरोध : बिजली बंद करने की अपील
संघर्ष समिति ने सोमवार रात 8 से 9 बजे के बीच सभी बिजली कर्मचारियों से अपने घरों की बिजली बंद करने की अपील की है। यह एक सांकेतिक विरोध होगा। महामंत्री जितेंद्र गुर्जर ने कहा कि यदि निजीकरण लागू हुआ तो हजारों संविदा कर्मियों की नौकरी चली जाएगी।
उपभोक्ता परिषद ने भी उठाए सवाल
रविवार को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने शक्ति भवन पहुंचकर कहा कि निजी कंपनियों को काम सौंपना उपभोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों के लिए घातक होगा। उन्होंने पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन पर गंभीर आरोप भी लगाए।