2,200 करोड़ घोटाला: CBI ने पूर्व राज्यपाल समेत आठ के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया

 🟥2,200 करोड़ के घोटाले में CBI ने पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक समेत 8 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल 

नई दिल्ली, 23 मई 2025

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने कार्रवाई करते हुए 2,200 करोड़ रुपये की कीरू जलविद्युत परियोजना से जुड़ी अनियमितताओं में आरोपपत्र दाखिल किया है। यह मामला वर्ष 2019 से जुड़ा हुआ है, जब परियोजना के सिविल वर्क का ठेका एक निजी कंपनी को दिए जाने को लेकर कथित भ्रष्टाचार सामने आया था।

CBI ने जम्मू की एक विशेष अदालत में दायर अपने आरोपपत्र में कुल आठ लोगों को नामजद किया है। इनमें पूर्व राज्यपाल के अलावा उनके दो करीबी सहयोगी, चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (CVPPPL) के तत्कालीन शीर्ष अधिकारी और संबंधित निर्माण कंपनी के निदेशक शामिल हैं।

एजेंसी ने बताया कि यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और जम्मू-कश्मीर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत दर्ज किया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह कथित अपराध अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पहले का है, जब जम्मू-कश्मीर में अलग कानून लागू थे।

CBI द्वारा जिन लोगों को आरोपपत्र में नामित किया गया है, उनमें एक निजी कंपनी के निदेशक, पूर्व सरकारी अधिकारी और एक कारोबारी भी शामिल हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने परियोजना में अनुचित लाभ पहुंचाने की साजिश रची।

आरोपपत्र दाखिल होते ही पूर्व राज्यपाल की तबीयत को लेकर भी खबर सामने आई। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई जिसमें वह अस्पताल में भर्ती दिख रहे हैं, साथ ही यह संदेश भी लिखा गया कि वे बात करने की स्थिति में नहीं हैं। उनके निजी सचिव ने बताया कि उन्हें संक्रमण की शिकायत के चलते दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। बताया गया कि वे कई दिनों से डायलिसिस पर हैं।

पूर्व राज्यपाल के पक्ष ने CBI की कार्रवाई को “राजनीतिक प्रतिशोध” बताया है। उनके सहयोगियों का कहना है कि पूर्व राज्यपाल पहले भी इस घोटाले के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं और उन्हें रिश्वत देने की पेशकश की गई थी, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था। उन्होंने यह भी कहा था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत करने के बावजूद जांच एजेंसी ने उन्हीं के खिलाफ कार्रवाई की है।

गौरतलब है कि यह मामला तब उजागर हुआ था जब पूर्व राज्यपाल ने एक इंटरव्यू में दावा किया था कि उन्हें इस परियोजना से जुड़ी फाइल पर हस्ताक्षर करने के एवज में 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी। उनके इस बयान के बाद ही CBI ने जांच शुरू की और फरवरी 2023 में उनके ठिकानों पर छापेमारी की गई थी।

इस मामले को लेकर राजनीतिक हलकों में भी चर्चा तेज हो गई है। कई लोगों ने जांच की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, वहीं कुछ का मानना है कि अगर कोई दोषी है, तो उसके खिलाफ कानून के तहत सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

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